This is a beautiful Hindi Poem for Father's Day. The special day in everyone's life. So if you wished to dedicate a Hindi Poem, this is for you.
Hindi Kavita
वो पिता ही होता है
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वो पिता ही होता है
जो अपने बच्चो
को अच्छे
विद्यालय में पढ़ाने
के लिए
दौड भाग करता
है...
उधार लाकर डोनेशन
भरता
है, जरूरत पड़ी तो
किसी के भी
हाथ पैर भी
पड़ता है, वो
पिता होता हैं
।।
हर कोलेज में साथ
साथ
घूमता है, बच्चे
के रहने के
लिए होस्टल ढुँढता है...
स्वतः फटे कपडे
पहनता है
और बच्चे के लिए
नयी जीन्स
टी-शर्ट लाता
है, वो पिता
होता है ।।
खुद खटारा फोन वपरता
है पर
बच्चे के लिए
स्मार्ट फोन लाता
है...
बच्चे की एक
आवाज सुनने के
लिए, उसके फोन में
पैसा भरता है,
वो पिता होता
है ।।
बच्चे के प्रेम
विवाह के निर्णय
पर
वो नाराज़ होता है
और गुस्से
में कहता है
सब ठीक से
देख
लिया है ना,
"आपको कुछ
समजता भी है?"
यह सुन कर
बहुत रोता है,
वो पिता होता
हैं ।।
बेटी की विदाई
पर दिल की
गहराई से रोता
है,
मेरी बेटी का
ख्याल रखना हाथ
जोड़ कर कहता
है, वो पिता
होता है ।।
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This poem was submitted by Aastha Bharti from Dehradun. You too can send your poetry, wishes and articles of Father's Day. We will publish it on this site.
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